Baje Bhagat (16 de julio de 1898 - 26 de febrero de 1939) fue un literato, poeta , escritor de ragni, artista de saang y artista de espectáculos culturales de Haryanvi. Nació en Sisana, distrito de Rohtak, Punjab (actualmente distrito de Sonipat, Haryana).
Bhagat nació el 16 de julio de 1898 en la aldea de Sisana, en el distrito de Sonipat , en la antigua provincia de Punjab (hoy Haryana ). Escribió entre 15 y 20 obras que le dieron un reconocimiento inusual en Haryana a principios de la década de 1920. Fue asesinado a puñaladas mientras dormía a la intemperie.
Los escritos de Bhagat incluyen:
बाजे राम का राजबाला अजीत सिंह
करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात
राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ – टेक
साथ मेरी धींगताणा बण रहया सै
इसा के तू महाराणा बण रहया सै
न्यू बोल्या घणा के स्याणा बण रहया सै
न्यू तै बीगड़ ज्यागी बात
राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ
करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात
राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ
करी बाप मेरे नै बेईमानी
हो अपनी खो बैठा ज़िंदगानी
न्यू बोल्या समय होया करे आणी जाणी
या माणस के ना हाथ
राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ
करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात
राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ
भगत बाजे के लगी कटारी
न्यू बोल्या मात छूटगी म्हारी
न्यू बोल्या एक लालाजी ने बोली मारी
जला पड़ा सै गात
राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ
करके सगाई भूल गए हुई बड़े दिनां की बात
राजबाला का ब्याह करदो बड़ी खुशी के साथ
बाजे राम का नवरतन
रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई
हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई – टेक
जेठ लगूँ और बड्डा कायदा न हक ठट्ठे हाँसी का
इसी इसी मन में आवे करूँ दरसन सोला रासी का
या परद्याँ में रहणे आली इका बाणा जणू हो दासी का
इसी परी ने देख देख मन डोले संत सन्यासी का
चाँद खिल्या पूरणमासी का इसी सुरत निमाणी दीख गई
रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई
हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई
मैं न्यूं बूझूंगा सेठाणी के फायदा विपदा ओटे में
मेरे चाल के मौज करे न पर्दे जाली कोठे में
सोने के जेवर घडवा द्यून तीअल चिपा ले गोटे में
जीब सिंगर के चलेगी हो तकरार बड़े छोटे में
नंदस्वरूपक्यान की बहू टोटे में अपनी हाणी दीख गई
रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई
हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई
लैला ऊपर मजनूँ ने लई डाभ जमा तन सारे में
शीरीन कारण फरहाद ने अपनी जान फंसा ली धारे में
हीर के कारण राँझे की भी बजी बंसरी ढ़ारे में
चंदरकिरण पे मदनसेन के बेड़ी घली चौबारे में
मन्ने भी इके बारे में तकलीफ उठाणी दीख गई
रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई
हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई
हरदेवा सतगुरु की थी बाणी बड़ी सगत की
उनकी सेवा करके मने पदवी मिली भगत की
बाजे भगत सेठाणी गेलयां करनी कार खगत की
ऊपर कमरे में चढ़ग्या ना सोधी करी अगत की
अपना मरण जगत की हाँसी वही कहाणी दीख गई
रतनकंवर ने छज्जे ऊपर खड़ी सेठाणी दीख गई
हाथ में लोटा सूर्यदेव को देती पाणी दीख गई
बाजे भगत का एक भजन
शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी
सत्यकाम विष्णुजी ने ब्राह्मण बण के गोद लिया
हरी ने अपना भगत पिछाण के कर्या आण मोक्ष बेदागी
हिरणाकुश के बेटा हुया जिसका नाम प्रह्लाद
झूठा तो प्रपंच त्याग्या ॐ नाम कर लिया याद
अहंकारी था वो राजा जिने बेटे ते किया विवाद
गिरवर से गिराय दिया अति दुख दिया भारी
खम्ब सेती बँधवा के ने सिर काटण की कर दी तयारी
अगनी में ना आंच लागि जल के मरगी हत्यारी
हो घमंड घणा था अज्ञान के दिया मार देर ना लागी
शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी
उस हरिचन्द ने काया देदी राजपाट सारा ति
बेटे के सिर आरा धर दिया ज्ञान हुआ जब मोरध्वज के
जल में डूबते हरि ने बचाए पास पहोञ्चगे थे वे गज के
दधीचि ऋषि हुए आवागमन मेट गए
भील्ल्णी के बेर खाये वन में जाके भेंट गए
नरसी जी की लाज राखी आप बण के सेठ गए
हरि ने दर्शन दे दिये आण के घड़ी भात भरण की आगी
शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी
नामदेव पीपा ध्यानु कबीरा की राखी जग्ग
जनकपुरी में धनुष तोड्या इंदर की मिटाई भग्ग
Más información
संत छाजुलाल दादा दीपचन्द कह ग्या मेरा
हरदेवा पे कृपा कर दी जो था स्वामी दास तेरा
बजे भगत भी डर के रहे जंगल बीच होगा डेरा
देंगे बीच फूँक शमशान के उड़ धूल पवन मिल ज्यागी
शरण गहे भगवान के सब झूठी माया त्यागी
[1] [2] [3]